तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान)
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वसंत पंचमी विशेष…
माँ शारदे! दे वरदान
सदा करे सबका सम्मान,
ज्ञान की देवी
आयी सखी री,
वासन्ती ऋतु आयी।
सखी री…
धुले-धुले फूलों के मुखड़े
दूर हुए सब मन के दुखड़े,
खुशियाँ भर-भर
लायी सखी री,
वासन्ती ऋतु आयी।
सखी री…
कोयल,मोर, पपीहा बोले
फूल-फूल पर भवँरे डोले,
काली घटाएं
छायी सखी री,
वासन्ती ऋतु आयी।
सखी री…
रुत पर आ गयी जवानी
बनी दुल्हन धरती की रानी,
फसलों ने ली
अंगड़ाई सखी री,
वासन्ती ऋतु आयी।
सखी री…
आया झूम के बसन्त
रंग प्रेम के लाया बसन्त,
दूर बजे
शहनाई सखी री,
वासन्ती ऋतु आयी।
सखी री…
पीली-पीली
सरसों फूले,
धानी चुनर
लहराई सखी री।
वासन्ती ऋतु आयी,
सखी री…॥
परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।