कुल पृष्ठ दर्शन : 31

You are currently viewing संवेदना-ज्ञान सिखा गए मुंशी जी

संवेदना-ज्ञान सिखा गए मुंशी जी

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************

मुंशी जी-कथा संवेदना के पितामह…

हे मुंशी प्रेमचंद जी, आपको कोटि नमन,
जो धरा में आप जन्म लिए, उसे वन्दन।

भाग्यशाली होंगे आपके श्री माता-पिता,
आप सरीखा ज्ञानी पुत्र दिए थे विधाता।

मुंशी प्रेमचंद जी ज्ञानी लेखक कहाते थे
‘गोदान’ कहानी में, किसानों को लाए थे।

अनगिनत उपन्यास, सभी को पढ़ा गए,
अपनी पुस्तकों से, संवेदना-ज्ञान सिखा गए।

साहित्य के पितामह, मुंशी प्रेमचंद जी,
आपकी कलम को, नमन करते हैं सभी।

३१ जुलाई १८८० में, धरती पर आप आए थे,
८ अक्टूबर १९३६ में आप स्वर्ग सिधार गए।

आपका पावन जन्म दिवस ज़ब आता है,
हर भारतीय को आपका लेखन हृदय से भाता है॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |