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संसार को बेरंग होने से बचाते हैं रंग ही

इंदौर (मप्र)।

नारी के तन-मन और परिधानों के रंग ही संसार को बेरंग होने से बचाते हैं।प्रकृति सुंदर है फूलों के रंग से तो, समाज रंगीन है नारी के रंगों से।

   यह बात मुख्य अतिथि डॉ. प्रेम कुमारी नाहटा ने कही। अवसर रहा होली से रंग चुने, महिला दिवस से नारी शक्ति को जगाया और `विश्व कविता दिवस` आने पर त्रिवेणी संगम से कविता रच डालने का, यानी वामा साहित्य मंच ने रविवार को ‘स्त्री और रंग, कविता के संग` विषय पर होटल अपना एवेन्यू में यह अनूठा आयोजन किया। मंच की सचिव डॉ.शोभा प्रजापति ने बताया कि, पूर्व अध्यक्ष अमर चड्ढा के सुंदर संयोजन में सदस्यों ने इस विषय पर एक से बढ़कर एक अद्भुत रचनाएं रच डाली।

हर रंग कुछ कहता है, और स्त्री के हर रूप का एक अलहदा रंग है, तो वामा सद्स्यों ने अपनी लेखनी, कल्पना, विचार क्षमता और अनुभूतियों का सुंदर तालमेल रचकर इस आयोजन को बहुरंगी रूप दे दिया। मंच की अध्यक्ष डॉ. इंदु पाराशर ने कहा कि `जिंदगी के रंग सारे नारियों से, जिंदगी के ढंग सारे नारियों से। सब रसों के छंद कविताएं हमीं हैं, जिंदगी खुश रंग सारी नारियों से।`

सरस्वती वंदना प्रतिभा जैन, अवंति श्रीवास्तव व प्रीति दुबे ने प्रस्तुत की। नूपुर प्रणय वागले, विनीता सिंह चौहान, प्रतिभा जैन शाह, सपना सी.पी. साहू `स्वप्निल` तथा अमर चड्ढा आदि सखियों ने रंग, स्त्री आधारित कविताएं पढ़ी। संचालन डॉ. बबीता कड़ाकिया ने किया। आभार चेतना भाटी ने माना।

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