सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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पहली देवी,’शैलपुत्री’,
स्थित मूलाधार चक्र में
करती श्वेत वस्त्र वे धारण,
कलम त्रिशूल लिए हाथों में।
दूसरी देवी ‘ब्रह्मचारिणी’,
स्वाधिष्ठान में बैठी हैं
सकल कामना पूरी करती,
धवल वस्त्र वे पहने हैं।
तीसरी देवी ‘चंद्रघंटा’,
मणिपुर चक्र में हैं शोभित
पटांबर परिधान हैं जिनका,
नानालंकार से आभूषित।
चौथी देवी ‘कूष्माण्डा’,
अनाहत चक्र की स्वामिनी हैं
सिंह सवारी माँ को भावे,
सूर्य प्रभा सम विलसित हैं।
पाँचवीं देवी ‘स्कंदमाता’,
विशुद्धि चक्र में हैं स्थित
सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री,
स्कन्ध गोद में हैं शोभित।
छठवीं देवी ‘कात्यायनी’,
आज्ञाचक्र में बैठी हैं
स्वर्ण समान चमकती आभा,
तीन नेत्र से शोभित हैं।
सातवीं देवी ‘कालरात्रि’,
सहस्त्रार चक्र में शोभित आप
गर्दभ वाहन पर चढ़ आतीं,
सबके हर लेतीं संताप।
आठवीं देवी ‘महागौरी’,
वस्त्राभूषण श्वेत हैं जिनके
कठिन तपस्या कर शिव पाया,
सदा ही शिव जी साथी उनके।
नौवीं देवी ‘सिद्धिदात्री’,
सकल सिद्धियाँ देने वाली
सिंह सवारी करतीं माता,
ये हैं चार भुजाओं वाली।
सिर के ऊपर सहस्त्रार है,
जहाँ पर शिव जी बैठे हैं,
वे नहीं नीचे कभी उतरते,
परम तत्व के सूचक हैं।
सभी चक्र का भेदन करती,
शक्ति शिव से हैं जा मिलती।
शक्ति शिव से प्रेम हैं करती,
सृष्टि का निर्माण वे करतीं॥