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हिंदी-मेरी जिंदगी

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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नवयुग की आवाज़ है हिन्दी,
बचपन की तुतलाती बोली है हिंदी
शब्द-शब्द पर खुशियाँ बाँटती है हिंदी,
जवाँ दिलों की धड़कन है हिंदी।

माथे की बिदिया-सी चमकती है हिंदी,
हमारी रोजी-रोटी है हिंदी
एक दुआ से भी बढ़कर है हिंदी,
छप्पन भोग-सी स्वादिष्ट है हिंदी।

तुलसी कहानी, कबीर की वाणी है हिंदी,
मीरा की भक्ति, सूरदास की शक्ति है हिंदी
रविदास के सागर की गागर है हिंदी,
हमारे वंदनीय की बोली है हिंदी।

कभी ना थकने और थमने वाली,
सदा ही चलते रहनेवाली।
आओ इसका सम्मान करें,
राष्ट्रभाषा हमारी जिंदगी है हिंदी॥

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