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अपना नव संवत्सर निराला

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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कैसे मनाऊँ नव वर्ष प्रियवर ? यह देश बेगाना है
सिंगापुर की धरती से बस, आज लौट के आना है।

गए थे शिक्षक भ्रमण हेतु, शिक्षा विभाग ने भेजा था
मनाएंगे भारतीय नव वर्ष को, हमने सपना सहेजा था।

कोई बात नहीं जो हम न मना पाए, तुमने तो मना लिया
मुझे खुशी है मेरे दूरभाष पर, बधाई संदेश भिजवा दिया।

दुनिया में तो हर देश की अपनी, खुशबू और रीत निराली है,
कहीं ईद-क्रिसमस और गुरु पर्व, कहीं नव वर्ष-दिवाली है।

पर्व कहीं का भी हो प्रियवर, अपना नव संवत्सर निराला है,
बसंत आगमन और हरियाली, छाया खुशियों का उजाला है।

प्रकृति की नव पल्लवित छटा में, खग कलरव की अनुगूँजें हैं,
षड ऋतुओं का है देश हमारा, दो ऋतुएं तो तुला के रुंगें हैं।

लौट के मिलते हैं फिर निज देश की, प्रिय पावन ज़मीं पर।
बलख न बुखारे वह सुख प्रिय, जो देता है अपना हनी घर॥