शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान)
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गणतंत्र दिवस विशेष…
मातरम वन्दे हृदय से बोल कर तो देखिये।
देश की गरिमा जगत से तौल कर तो देखिये॥
कोई भी जज़्बा हमारे देश से ऊँचा नहीं,
जान ना दे देश पर ऐसा कोई बच्चा नहीं।
शूरवीरों का वतन टटोल कर तो देखिये,
देश की गरिमा जगत से तौल कर तो देखिये…॥
ये ऋषि-मुनियों की धरती पावनी गंगा बहे,
वार हमने कितने ही आक्रांत लोगों के सहे।
हैं हिमालय-सा अडिग दिल खोल कर तो देखिये,
देश की गरिमा जगत से तौल कर तो देखिये…॥
है मुहब्बत का मसीहा प्यार का सागर है ये,
अरु जवानों के लहू से छलकता गागर है ये।
साथ में अपना लहू भी घोल कर तो देखिये,
देश की गरिमा जगत से तौल कर तो देखिये…॥
इस हवन में जो भी कूदे,जान की बाजी लगा,
बाँध केसरिया सिरों पर माँ भवानी को जगा।
जोर से माँ भारती जय बोल कर तो देखिये,
देश की गरिमा जगत से तौल कर तो देखिये…॥
देखिये अपना तिरंगा शान से लहरा रहा,
आज बच्चा-बच्चा वन्दे मातरम है गा रहा।
विश्व में है धमक आँखें खोल कर तो देखिये,
देश की गरिमा जगत से तौल कर तो देखिये…॥
खून की हर बूंद में बसता ये हिन्दुस्तान है,
शाँति का द्योतक भी है ये क्रांति का फ़रमान है।
मेरा देश महान मुँह से बोल कर तो देखिये,
देश की गरिमा जगत से तौल कर तो देखिये…॥
परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है