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अलग पहचान बनाने में सक्षम हैं सुनीता मिश्रा की लघुकथाएँ

पटना (बिहार)।

आज सोशल मीडिया पर लघुकथाओं की उपस्थिति के कारण इसकी पहुंच विश्व के किसी भी कोने में रह रहे पाठकों के बीच आसानी से हो गई है, साथ ही सोशल मीडिया पर भी सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली विधा के रूप में लघुकथा अपनी पहचान बनाने लगी है। भीड़ से अलग अपने मौलिक दृष्टिकोण अपनी अलग पहचान बनाने में सक्षम हैं सुनीता मिश्रा की लघुकथाएँ।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आभासी माध्यम से लघुकथा सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उक्त उदगार व्यक्त किए। उन्होंने भोपाल की चर्चित लघुकथा लेखिका सुनीता मिश्रा की चुनी हुई लघुकथाओं पर कहा कि, सुनीता मिश्रा की लेखन में सौन्दर्य दृष्टि है, घटनाओं के प्रति संवेदनशीलता और एक व्यापक घटना को कम से कम शब्दों में लघुकथा के ढांचे में प्रस्तुत करने की अद्भुत क्षमता है।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए प्रतिष्ठित लेखिका अनिता रश्मि ने कहा कि, लघुकथा कम-से-कम शब्दों में जीवन और समाज का तीखा सच उद्घाटित करती हुई मानवीय संवेदना को झकझोर कर हमें अंतर्मंथन को विवश करती हैं। छोटी होने के बावजूद यह आसान विधा कतई नहीं। मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध लघुकथा लेखिका सुनीता मिश्रा ने कहा कि, सिद्धेश्वर जी द्वारा उनकी लघुकथाओं पर लिखी गई डायरी के लेखन का प्रारूप साहित्य के प्रति निष्ठावान प्रहरी की सजगता का प्रमाण है।
सम्मेलन में देशभर के प्रतिनिधि लघुकथाकारों ने हिस्सा लिया। अनिता रश्मि ने ‘संतान और शवयात्रा’ तथा मुख्य अतिथि सुनीता मिश्रा ने जंग जारी है, ‘पूरा मुनाफा’, ‘कीमत’ आदि लघुकथाओं का पाठ कर संगोष्ठी को यादगार बना दिया।
दूसरे सत्र में इनके अलावा नलिनी श्रीवास्तव, इंदु उपाध्याय, राज प्रिया रानी, पूनम श्रेयसी और निर्मल कुमार डे ने भी लघुकथाओं का पाठ किया।
धन्यवाद ज्ञापन संस्था की सचिव ऋचा वर्मा ने दिया।

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