कुल पृष्ठ दर्शन : 211

You are currently viewing अहिंसा मौन श्रवण

अहिंसा मौन श्रवण

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

*************************************************

मानव धर्म मुदित जनजीवन, सत्य अहिंसा मौन श्रवण था,
अप्रिय निंदनीय असत्य वचन, गांधी वानर त्रय चिन्तन था।

सदाचार संस्कार निमज्जित, दया क्षमा करुणामय मन था,
राम नाम अन्तर्मन गुंफित, न्याय नीति सम्प्रीति यतन था।
शान्ति-कान्ति मुस्कान सुशोभित, सत्यनिष्ठ स्वर श्रवण कथन था,
परमारथ पौरुष संबल वह, जाति-धर्म निर्भेद चयन था।

कानों पर धर हाथ युगल वह, वानर निन्दा विरत श्रवण था,
आँख बंद कर हाथों वानर, अनीति कर्म विरत दर्शन था।

अमर्यादित वचन विरत मुख, बंद हाथ मुख वानर मन था,
मितभाषी बन तौल विवेक मति, दर्शन श्रवण मधुर वचन था।

आदर्शों के धवल चरित वह, राष्ट्रधर्म परमारथ तन था,
कपि त्रिमूर्ति का प्रतिमानक वह, गाँधी दर्शन सच चितवन था।

मानवता संवेदन हियतल, धरा विश्व बंधुत्व लगन था,
पराधीन संग्राम सत्यपथ, हिंसा दंगा प्रतिरोधन था।

स्वदेशी मनभाव सृजन पथ, खादी कपड़ा अपनापन था,
चरखों का अलबेला वाहक, चालक दिग्दर्शक जीवन था।

आजादी के परवाने बन, बलिदानी जय हिंद वतन था,
कोटि-कोटि जन-मन अनुमोदित, गाँधी जीवन पथ दर्शन था।

धन्य-धन्य जय भरत भूमि यह, धन्य भारती तनय नमन है।
राष्ट्र विनायक नायक गाँधी, मोहन कर्म चंद वन्दन है॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥