कुल पृष्ठ दर्शन : 213

You are currently viewing आत्मगौरव भी भरता है गणतंत्र दिवस

आत्मगौरव भी भरता है गणतंत्र दिवस

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
***********************************************

गणतंत्र दिवस विशेष…..


हम सभी जानते हैं कि स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत को अंग्रेजों की लंबी गुलामी से आजादी मिली थी,जबकि गणतंत्र दिवस के दिन भारत गणतंत्र देश बना,क्योंकि उसी दिन से ‘भारत सरकार अधिनियम १९३५’ की जगह भारत का लिखा हुआ संविधान लागू हुआ। अर्थात पूर्ण स्वराज दिवस (२६ जनवरी १९३०) को ध्यान में रखते हुए २६जनवरी १९५० को सुबह १०.१८ बजे पर भारत का संविधान लागू कर देने के पश्चात हम पूर्ण रूप से स्वाधीन हो गए। उसी दिन से भारत में जनता के द्वारा,जनता के लिए शासन पद्धति लागू कर दी गई। हम इस २६ जनवरी को हमारा ७३वां गणतन्त्र दिवस मना रहे हैं। हमें गर्व है कि, हम सभी इस गणतांत्रिक देश के निवासी हैं,जिसे सरल शब्दों में प्रजातंत्र,लोकतंत्र या जनतंत्र भी कहा जाता है। अर्थात भारत देश में शासन की बागडोर केवल उसी के हाथो में सौंपी जाती है,जिसे चुनने का सम्पूर्ण रूप में अधिकार केवल प्रजा के पास होता है। प्रजा का कर्त्तव्य है कि संविधान में दिए कर्तव्यों का पालन करते हुए और अपने अधिकारों की रक्षा हेतु वह एक ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव करे जो सदैव देश की सेवा को सर्वोपरि रख प्रजाहित में निर्णय ले। इसी तथ्यानुसार इस बार के गणतन्त्र दिवस समारोह में कई बदलाव देखने को मिलेंगे।
सरकार ने निर्णय किया है कि इसी साल से,नेताजी सुभाष चंद्र बोस की १२५वीं जयन्ती वर्ष से अब तक गणतन्त्र दिवस समारोह का औपचारिक आयोजन अब हर साल २३ जनवरी से शुरू हो जाएगा। इसी तरह इस बार रक्षा मंत्रालय ने गणतन्त्र दिवस समारोह देखने का मौका देने के लिए दर्शक दीर्घा में कुछ सीटें मजदूरों, सफाईकर्मियों और रिक्शा चालकों के लिए भी आरक्षित रखी है। ऐसे ही कुछ और बदलाव भी किए गए हैं।
यह स्पष्ट है कि यह दिन हमें हमारे संविधान का महत्व तो समझाता ही है,साथ ही यह पर्व न केवल हमें पूर्ण स्वतंत्रता की अनुभूति कराता है,बल्कि हमारे अंदर आत्मगौरव भी भरता है। इन्हीं सब कारणों से इस दिन को सम्पूर्ण देश भर में हर स्तर पर पूरे धूम-धाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

Leave a Reply