कुल पृष्ठ दर्शन : 197

You are currently viewing आधुनिकता से बंटाधार

आधुनिकता से बंटाधार

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

आधुनिकता बंटाधार किया, खान-पान की सुचिता को,
देखा-देखी पर रुचि खाते, परे रखे निज रुचिता को
ठूंसे इतना पेट में माल, पचन तंत्र हुआ विद्रोही,
इस कारण रोगी बन भटके, चिकित्सालय का बटोही।

जीवन-शैली बिगड़ी ऐसी, आपा-धापी का नर्तन,
रेखा लांघ खाद्य-अखाद्य की ,रहन-सहन भी परिवर्तन
मानव पाचन संरचना है सात्विक फल शाकाहारी,
जीव को जीव भक्षण करता, ऐसी भी क्या लाचारी।

दया धर्म करुणा इस कारण कमतर होता जाता है,
मानस विचार इस भोजन से क्रूर पशुपन छाता है
बासी व डिब्बा बंद भोजन, मिला हुआ रंग रसायन,
प्लास्टिक पैक में खाद्य पदार्थ, दूषित करते वातायन।

खान-पान का ढंग सुधारें, भागे दूर रोग आधे,
अल्प निरामिष ताजा खायें, लोभी स्वाद इंद्रि साधे
प्रवेश निषेध गृह सदस्य का, था स्वच्छ पवित्र रसोई,
पूर्वज वस्त्र बदल कर खाते, निरोगी जिये हर कोई।

ठौर-ठौर सजा भोजनालय, ढाबा रेस्त्रां या होटल,
क्या बनता कैसे पकता है, जाने कौन आँख ओझल।
अब छुआछूत का नाम रखे, पूर्वजों की स्वच्छता था,
शुद्ध सात्विक सुरुचि भोजन ही, प्राचीन सदा अच्छा था॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply