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आया जो बसन्त है

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’
बारां (राजस्थान)
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बसंत पंचमी विशेष….

फूल खिले हैं बागों में,आया जो बसन्त है,
फैली खुशबू हवाओं में,पतझड़ का जो अंत है।

हर चेहरे पर छायी खुशी है,चलने लगी बहारें जो,
बुलबुल गीत सुना रही है,महकी हैं फिजायें जो।
झूम उठी है कलियाँ खुशी से,छाया ऐसा रंग है,
फूल खिले हैं बागों में…।

पीत वर्ण के वस्त्र पहनकर,नाच रही है टोलियां,
छायी है मस्ती आँखों में,खुशियों से भरी है झोलियां।
पीली चुनरी में दुल्हन है धरती,गा रहा ऐसा नभ है,
फूल खिले है बागों में…।

शहर-शहर उत्सव है,मनभावन ऋतु जो आई है,
स्वागत में हर उत्सुक है,पग-पग महफिल सजाई है।
बंट रही है मिठाई घर-घर,बज रहे चंग-मृदंग है,
फूल खिले हैं बागों में…।

शामिल करें उनको इस खुशी में,जिनसे बसन्त जिन्दा है,
सलामत है जिनसे यह चमन,जिनसे यह तिरंगा जिंदा है।
उन वीरों को करें हम सलाम,आया ऐसा ही सन्देश है,
फूल खिले हैं बागों में,आया जो बसन्त है…॥

परिचय- गुरुदीन वर्मा का उपनाम जी आज़ाद है। सरकारी शिक्षक श्री वर्मा राजस्थान के सिरोही जिले में पिण्डवाड़ा स्थित विद्यालय में पदस्थ हैं। स्थाई पता जिला-बारां (राजस्थान) है। आपकी शिक्षा स्नातक(बीए)व प्रशिक्षण (एसटीसी) है।इनकी रूचि शिक्षण,लेखन,संगीत व भ्रमण में है। साहित्यिक गतिविधि में सक्रिय जी आजाद अनेक साहित्य पटल पर ऑनलाइन काव्य पाठ कर चुके हैं तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्रकाशित पुस्तक ‘मेरी मुहब्बत’ साहित्य खाते में है तो कुछ पुस्तक प्रकाशन में हैं।

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