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आया बसन्त

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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लो! अब हुआ,जाड़े का अंत,
मस्त मदमाता,फिर आया बसंत।

मौसम सुहावना,न शीत-न गरमी,
पवन की गति में,अब बनी है नरमी।

पीली-पीली,धानी ओढ़ चुनरिया,
बनी प्रकृति आज,मानो दुल्हनिया।

रिक्त-कपासी,बादल है छिन-छिन,
ऋतुराज के सब रंग हैं,भिन्न-भिन्न।

सुबह-शाम अब,शरद गुलाबी,
दोपहरी धूप का,बस ताप शबाबी।

पुराने पत्तों का,ये झर-झर गिरना,
लाल-गुलाबी,नव कोपल का खिलना।

तितली,भौंरों का,फूलों पर उड़ना,
नायक-नायिका मन,प्रेम उमड़ना।

खिलते खेतों-सा,ये खनकता यौवन,
मन को मोहते,सब दृश्य मनोरम।

करवट प्रकृति की,मौसम बदलाव,
चलता है यूँ ही,यह जीवन-बहाव॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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