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आया राखी का त्यौहार

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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रक्षाबंधन विशेष………

सखी! आया राखी का त्यौहार,
मन में छाई खुशी अपार।

सावन मास लगे है पावन,
पीहर की यादें मनभावन
भैया-भाभी,बहिन,सहेली,
मात-पिता,दादी अलबेली
सबसे मिलना,गले से लगना,
न कोई बंधन,रूठना-मनना
साल में आता दिन एक बार।
सखी! आया राखी का त्यौहार…

चेहरे पर अनुपम खुशी झलकती,
भाई के हाथ जब राखी सजती
थाली में रोली,मोली,चावल,
मिठाई,राखी,दीप,नारियल
उल्लासित तन,हजारों खुशियां,
मन में फूट रहीं फुलझड़ियाँ
भैया देता प्यार भरा उपहार।
सखी! आया राखी का त्यौहार…

राखी का शुभ दिन है आया,
ईश्वर की कृपा से तुमको पाया
लंबी उमर तेरी हो भैया,
चाह नहीं है महल,रुपैया
जब तक जीना साथ निभाना,
बहिन को अपनी भूल न जाना
चहल-पहल से भरा रहे घर द्वार।
सखी!आया राखी का त्यौहार…

रक्षासूत्र का करें हम वंदन,
भाई-बहन का अटूट बंधन
कान्हा भागे दौड़े आए,
द्रोपदी ने जब किया था क्रंदन
कर्मावती ने भेजी राखी,
हुमायूं ने कर दिया रिपु-मर्दन।
प्रीत की डोर से बंधा है प्यार,
सखी! आया राखी का त्यौहार…॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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