राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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खुशी यहां मिलेगी…
यह सोचकर उन्होंने फूंक दी दौलत,
क्लब,महफ़िल,होटल,दोस्तों में
कहकहे भी मिले उन्हें हँसी भी मिली,
मगर अफसोस! उन्हें खुशी ना मिली।
शांति यहां मिलेगी…
यह समझ उन्होंने भगवा वस्त्र धारण किए,
योगाश्रमों के खूब चक्कर भी लगा लिए
यज्ञ,हवन और रामायण पाठ भी कराए,
फिर भी शांति ना मिली,लाख उपाय कराए।
तृप्ति यहां मिलेगी…
सोच कर उन्होंने पूजा-पाठ करवाए,
कहीं मंदिर कहीं धर्मशाला के निर्माण कराए
जो सोचते थे चाहते थे,वो नहीं मिली,
दुआएं मिली,प्रशंसा मिली,तृप्ति नहीं मिली।
तभी एक आँचल जोर से हँसा,
और बोला-
‘पगले! कहां भटक रहे हो तुम ?
भला जीवन से इतने निराश क्यों तुम ?
दूसरों को खुशियाँ देकर गले जब लगाओगे,
खुशी,तृप्ति और शांति अपने पास पाओगे॥
परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।