अमल श्रीवास्तव
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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देश में पिछले सत्तर साल से जातिगत आरक्षण लागू है, क्या इन सत्तर सालों में एक भी आरक्षित वर्ग का परिवार सामान्य बन पाया है या नहीं ? अगर नहीं तो फिर इस व्यवस्था को जारी रखने का क्या औचित्य है ? अगर विधायक, सांसद, मंत्री, अधिकारी बनने के बाद भी वह व्यक्ति और उसका परिवार आज भी दलित है तो फिर असली वंचित, शोषित, पीड़ित किसे कहा जाएगा ? ऐसे में देश को गृहयुद्ध की आग मे झोंकने जैसी इस व्यवस्था की समीक्षा जरूरी हो गई है। देश के विकास के लिए सत्तर वर्ष जारी इस जातिगत आरक्षण में सुधार आवश्यक है।
सुधार कें अंतर्गत सभी गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों को आरक्षण के दायरे में लाया जाए(जाति के आधार पर नहीं),जितने भी यतीम और दिव्यांग हैं, उन्हें भी आरक्षण के दायरे में लाया जाए। ऐसे ही जितनी भी उम्रदराज परित्यकत्ता, कल्याणी और अविवाहित महिलाएं हैं, उन्हें भी आरक्षण के दायरे में लाया जाए। आरक्षण की सीमा ५० प्रतिशत से ज्यादा न हो, ताकि प्रतिभा के साथ नाइंसाफी न हो, और विकास भी बाधित न हो। आह भी आवश्यक हो कि, आरक्षण पढ़ाई में, नौकरी मिलने अथवा स्वयं का रोजगार शुरू करने तक ही हो, पदोन्नति में नहीं होना चाहिए। चुनाव में भी जो जातिगत आरक्षित क्षेत्र है,उनकी भी समीक्षा की जाए, ताकि पीढ़ी दर पीढ़ी आरक्षण का लाभ लेने वालों की जगह असली हकदार को उसका लाभ मिल सके।
परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।