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मोहब्बत

मदन मोहन शर्मा ‘सजल’ 
कोटा(राजस्थान)
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वो कहते हैं-
मोहब्बत ज़िन्दगी है,
मोहब्बत बंदगी है
मोहब्बत फूलों की सेज है,
मोहब्बत अरमानों,ख्वाबों की परवाज़ है।
मोहब्बत दीवानगी की पाठशाला है,
मोहब्बत दो दिलों की प्रेमशाला है
और भी न जाने क्या-क्या ?
हकीकत तो यह है-
मैंने मोहब्बत को,
रात के अंधेरों में
जार-जार सिसकते,
रोते, दहाड़े मारते, घुटते,
तड़फते, मचलते, बेहाल देखा है।
और सुना भी है-
मोहब्बत दुःखों की झील है
मोहब्बत आँसूओं का समंदर है,
मोहब्बत मौत की घाटी है
मोहब्बत जीवन का अंत है,
खुदा जाने
क्या सच है और
क्या झूठ।
‘सजल’ कहता है-
मोहब्बत सिर्फ मोहब्बत है,
सुख-दुःख,मिलन-बिछोह
हास-परिहास,अपनापन,बेगानापन,
लाभ-हानि का ऐसा जाल
फँसे तो पछताए,
न फँसे तो पछताए॥

परिचय-मदन मोहन शर्मा का साहित्यिक नाम  ‘सजल’ है। जन्मतिथि ११ जनवरी १९६० तथा जन्म स्थान कोटा(राजस्थान)है। आपका स्थाई पता कोटा स्थित आर. के.पुरम है। श्री शर्मा ने स्नात्तकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य) की शिक्षा हासिल की और पेशे से व्याख्याता(निजी महाविद्यालय)का कार्यक्षेत्र है। आपकी लेखनी का उद्देश्य समाज में व्याप्त बुराइयों,आडम्बरों के खिलाफ सतत संघर्ष के लिए कलम उठाए रखना है। कलम के माध्यम से समाज में प्रेम, भाईचारा,सौहार्द कायम करना आपका प्रयास है। गीत,कविता,गज़ल,छन्द,दोहे, लेख,मुक्तक और लघुकथाएं आदि लेखन विधा है।

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