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इस धरा को स्वर्ग बनाएंगे

शशांक मिश्र ‘भारती’
शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश)

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विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष………

हम छोटे-छोटे प्यारे बच्चे,

कोमल टहन से सीधे सच्चे।

नित आगे बढ़ते रहना है,

दुःख-दर्द सभी के सहना है।

मुझे चाहिए है मार्गदर्शन,

और न कुछ भी कहना है।

छोटी-छोटी पेड़ों की टहनी,

सहयोग से ही बढ़ पाती है।

आश्रय मिलता जब श्रेष्ठ का,

एक दिन विशाल वही हो जाती है।

वृक्ष से अलग होकर टहनी,

क्या जीवित रह पाती है।

अलग होने के क्षण से ही,

वह मुरझाने लग जाती है।

इसीलिए हम साथ रहेंगे,

चाहेंगे सुन्दर पथ दर्शन।

बढ़ेगा जब उत्साह हमारा,

दिख जायेगा प्रगति का दर्पण।

मेरी मेहनत आपके सुझाव,

नित मुझको आगे बढ़ायेंगे।

चढ़ेंगे उन्नति के सोपान,

इस ‘धरा’ को स्वर्ग बनायेंगे॥

परिचयशशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैl २६ जून १९७३ में मुरछा(शाहजहांपुर,उप्र)में जन्में हैंl वर्तमान तथा स्थाई पता शाहजहांपुर ही हैl उत्तरप्रदेश निवासी श्री मिश्र का कार्यक्षेत्र-प्रवक्ता(विद्यालय टनकपुर-उत्तराखण्ड)का हैl सामाजिक गतिविधि के लिए हिन्दी भाषा के प्रोत्साहन हेतु आप हर साल छात्र-छात्राओं का सम्मान करते हैं तो अनेक पुस्तकालयों को निःशुल्क पुस्तक वतर्न करने के साथ ही अनेक प्रतियोगिताएं भी कराते हैंl इनकी लेखन विधा-निबन्ध,लेख कविता,ग़ज़ल,बालगीत और क्षणिकायेंआदि है। भाषा ज्ञान-हिन्दी,संस्कृत एवं अंगेजी का रखते हैंl प्रकाशन में अनेक रचनाएं आपके खाते में हैं तो बाल साहित्यांक सहित कविता संकलन,पत्रिका आदि क सम्पादन भी किया है। जून १९९१ से अब तक अनवरत दैनिक-साप्ताहिक-मासिक पत्र-पत्रिकाओं में रचना छप रही हैं। अनुवाद व प्रकाशन में उड़िया व कन्नड़ में उड़िया में २ पुस्तक है। देश-विदेश की करीब ७५ संस्था-संगठनों से आप सम्मानित किए जा चुके हैं। आपके लेखन का उद्देश्य- समाज व देश की दशा पर चिन्तन कर उसको सही दिशा देना है। प्रेरणा पुंज- नन्हें-मुन्ने बच्चे व समाज और देश की क्षुभित प्रक्रियाएं हैं। इनकी रुचि- पर्यावरण व बालकों में सृजन प्रतिभा का विकास करने में है।

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