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उठो देश के युवाओं…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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स्वामी विवेकानंद जी जन्म दिवस विशेष…

उठो देश के भावी युवाओं,
हिन्द ने तुम्हें बुलाया है।
लक्ष्य से पहले रुको नहीं तुम,
मार्ग ये हमको दिखाया है।
देश को जिसने विश्व पटल पर,
गौरव मान दिलाया है।
विश्व-युवा उस विवेकानन्द का,
आज जन्मदिन आया है।
उठो देश के भावी युवाओं,
हिन्द ने तुम्हें बुलाया है…॥

संस्कृति अपनी समग्र शाश्वत,
जरा वेदों को तुम खोलो।
बुद्धि तुम्हारी क्षीण नहीं है,
ज्ञान चक्षुओं को खोलो।
गैर-राग में बहुत गा चुके,
अब अपने गीतों में बोलो।
धीर मनीषियों की वाणी में,
आज ओज यह छाया है।
उठो देश के भावी युवाओं,
हिन्द ने तुम्हें बुलाया है…॥

भले विश्व विज्ञान उन्नति से,
आज शिखर पर पहुँच गया।
बल सौंदर्य,संवर्धन से,
देश बने फिर स्वस्थ नया।
भारत का अब गुजरा बचपन,
देश लगे है आज युवा।
कुसुम रूप इस देशज्योति को,
वीरों ने प्राण पिलाया है।
उठो देश के भावी युवाओं,
हिन्द ने तुम्हें बुलाया है…॥

कर्म-ज्ञान-ईमान से खुद को,
अब तुम खुद समृद्ध करो।
देश-धर्म,कर्तव्य मार्ग पर,
अपने-आपको बद्ध करो।
नशा,दुष्प्रवृत्ति,बड़बोलों से,
खुद को तुम निषिद्ध करो।
युवा सन्त उस महापुरुष ने,
यही हमें समझाया है।
उठो देश के भावी युवाओं,
हिन्द ने तुम्हें बुलाया है…॥

खेल कला विज्ञान क्षेत्र में,
तुमको नाम कमाना है।
विश्व धरातल बड़ा ही दुर्गम,
फिर भी पैर जमाना है।
उन्नति-प्रगति के ग्राफों को,
शिखरों तक पहुँचाना है।
मान बढ़ाना है भारत का,
जिसने जग को सिखाया है।
उठो देश के भावी युवाओं,
हिन्द ने तुम्हें बुलाया है…॥
लक्ष्य से पहले रुको नहीं तुम,
मार्ग ये हमको दिखाया है।
देश को जिसने विश्व-पटल पर,
गौरव मान दिलाया है।
विश्व युवा उस विवेकानन्द का,
आज जन्मदिन आया है…॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार ‘अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि १७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान बूंदी (राजस्थान) है। आप बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान आदि मिले हैं।

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