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मुझे रोना आता है…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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फटी बिवाई देख,
मुझे रोना आता है
वो मजदूर है साहब,
जिसे खोना आता है।

अपने अरमानों को,
दिल में छिपे ख्वाबों को
पसीने से लथपथ,
आँख भिगोना आता है।

चिलचिलाती धूप में,
वो भारी बोझ उठा लेता है
जब थक जाता है बेचारा,
वहीं मिट्टी में सो जाता है।

दुनिया की बेरहमी को,
हँस-हँस कर सह लेता है
लेकिन अपनी मजबूरी पर,
छिप-छिप आँसू बहाता है।

अपने बच्चों की खातिर,
सारे ग़म भूल जाता है
फटे हाल जिंदगी जी कर,
हर इच्छा पूरी करता है।

खुशी के मौके पर,
जिसे कोई याद नहीं करता
वही उनकी मय्यत पर आकर,
वफादारी का परिचय देता है।

बेचारा अपनी गरीबी पर,
बहुत लजाता है।
वो मजदूर है साहब,
उसे खोना आता है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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