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उपहार होते हैं दोस्त

बबीता प्रजापति ‘वाणी’
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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मित्रता और जीवन….

उमस भरी गर्मी में,
फुहार होते हैं दोस्त
तपती दोपहरी में,
सदा तैयार होते हैं दोस्त।

खुश्क से मौसम में,
फुहार होते हैं दोस्त
खुदा का सबसे कीमती,
उपहार होते हैं दोस्त।

सावन में झूले झूलते,
कागज़ की नावों में
सवार होते हैं दोस्त।

बागों में आम तोड़ते,
एक-दूजे का हथियार
होते हैं दोस्त।

किसी एक पर,
बोझ नहीं डालते
हर काम बांटने को,
तैयार होते हैं दोस्त।

कतरा आँख का गर गिरा,
मर मिटने को तैयार होते हैं दोस्त।
दोस्तों के बिना ज़िंदगी क्या है,
एक-दूजे का आधार होते हैं दोस्त॥

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