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उम्र खड़ी है

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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पल-पल बीत रही उमर,
टेढ़ी अब हो गई कमर
समय की मार पड़ी है,
उम्र ढाए खड़ी है।

बहकने लगी है चाल,
पसीना टपक रहा है भाल
समय की मार पड़ी है,
उम्र ढाए खड़ी है।

हिलने लगे हैं दाँत,
पेट की सिकुड़ गई है आंत
समय की मार पड़ी है,
उम्र ढाए खड़ी है।

‘बीपी’ हद से हो गया पार,
आँखों से हो गया लाचार
समय की मार पड़ी है,
उम्र ढाए खड़ी है।

घुटनों में अब नहीं है दम,
बैंत हाथ में रहती हरदम।
समय की मार पड़ी है,
उम्र ढाए खड़ी है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।