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बहार है लेकर बसंत आई

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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बसंत पंचमी विशेष….

ख़त्म हुई सब बात पुरानी,
होगी शुरू अब नई कहानी
बहार है लेकर बसंत आई,
चढ़ी ऋतुओं को नई जवानी।

गौरैया है चहक रही,
कलियाँ देखो खिलने लगी हैं
मीठी-मीठी धूप जो निकले,
बदन को प्यारी लगने लगी है।

तारे चमकें अब रातों को,
कोहरे ने ले ली है विदाई
पीली-पीली सरसों से भी,
खुशबू भीनी-भीनी आई।

रंग-बिरंगे फूल खिले हैं,
कितने प्यारे बागों में
आनंद बहुत ही मिलता है,
इस मौसम के रागों में।

आम नहीं ये ऋतु है कोई,
ये तो है ऋतुओं की रानी
एक वर्ष की सब ऋतुओं में,
होती है ये बहुत सुहानी।

ख़त्म हुई सब बात पुरानी,
होगी शुरू अब नई कहानी।
बहार है लेकर बसंत आई,
चढ़ी ऋतुओं को नई जवानी॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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