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ओढ़ तिरंगा तेरी गोदी में…

ऋचा सिन्हा
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……….

वर्दी पहन बारूद लपेट कर,
खुद को धन्य मैं पाता हूँ
देश की माटी को मल कर,
भारत माँ का सपूत कहलाता हूँl

जिस माँ ने जन्म दिया,
उसका मैं आभारी हूँ
फिर भारत माँ को सौंप दिया,
उसका मैं आज्ञाकारी हूँl

सजा कर कफ़न माथे पर,
निकल पड़ा हूँ अब तो मैं
मातृभूमि की रक्षा हेतु,
चल पड़ा हूँ अब तो मैंl

परवाह नहीं किसी मौसम की,
डर नहीं किसी ऊँचाई का
दौड़ रहा है धमनियों में,
लहू मेरी माता काl

पारंगत हूँ मैं युद्ध कौशल में,
भेदती-सी निगाह है
दुश्मन हूँ मैं हर दुश्मन का,
उनका तो मैं काल हूँl

जान को हथेली पर रखकर,
पहरेदारी मैं करता हूँ
हर पल हर क्षण तिरंगे को,
महसूस सीने में करता हूँl

दिल में जुनून है आँखों में अंगारे,
मातृभूमि की रक्षा के लिए
तन-मन सब तेरे हवाले,
जां तक दे दूंगा तेरे लिएl

चाहत है देश की ख़ातिर,
मिट्टी में मिल जाऊँ मैंl
ओढ़ तिरंगा तेरी गोदी में,
चिर निद्रा में सो जाऊँ…ll

परिचय – ऋचा सिन्हा का जन्म १३ अगस्त को उत्तर प्रदेश के कैसर गंज (जिला बहराइच) में हुआ है। आपका बसेरा वर्तमान में नवी मुम्बई के सानपाड़ा में है। बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी साहित्य में रुचि रखने वाली ऋचा सिन्हा ने स्नातकोत्तर और बी.एड. किया है। घर में बचपन से ही साहित्यिक वातावरण पाने वाली ऋचा सिन्हा को लिखने,पढ़ने सहित गाने,नाचने का भी शौक है। आप सामाजिक जनसंचार माध्यमों पर भी सक्रिय हैं। मुम्बई (महाराष्ट्र)स्थित विद्यालय में अंग्रेज़ी की अध्यापिका होकर भी हिंदी इनके दिल में बसती है,उसी में लिखती हैं। इनकी रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं में छप चुकीं हैं,तो साझा संग्रह में भी अवसर मिला है।

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