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कलम न्यारी

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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कोमल मन के,
भाव कभी वो
कट सत्य,
जीवन के लिखता।
कलम उसकी
दोधारी है भई,
कवि की दुनिया
तो न्यारी है।
सच्चाई की,
ताकत रखता
रखता ख़बर
जहां की सारी है,
कवि की
दुनिया न्यारी है।

चंद कागज़ के,
टुकड़ों के बदले
बेचता नहीं,
अपना वजूद
अपनी कलम
जान से प्यारी है,
कवि की
दुनिया न्यारी है।

बयां करता है
अपने ख़यालात,
खोलता है राज
बंद कमरों के,
हल्की कलम
पर सोच भारी है।
कवि की तो,
दुनिया न्यारी है।

कवि की कलम
लिखती है जो भी,
लगता है कहानी
तुम्हारी,हमारी है,
कवि की तो
दुनिया ही न्यारी है।

तलवारों का
काम है करती,
कभी ये कलम
प्रेम पुजारी है,
कवि की तो
दुनिया न्यारी है।

रहता है कवि भी,
इसी दुनिया में
पर उसकी अपनी,
एक अलग दुनिया है,
कलम कभी भी
न दुनिया से हारी है।
कवि की,
दुनिया तो न्यारी है॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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