डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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किसी हमदर्द ने,
वो पुराना ज़ख्म
अनजाने में कुरेद दिया,
दर्द गहरा था
मरहम-पट्टी कर,
थोड़ा दबा रहा।
ज्वालामुखी जो अंदर था,
अन्याय के कारण फूट पड़ा
आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा,
जिस चिड़िया माँ ने तिनका- तिनका,
जोड़कर नीड़ बनाया, दाना खिलाया
अपने नन्हें बच्चों को उड़ना सिखाया,
ऊँची उड़ान भरने को
जब बच्चे बड़े हो गए,
तब एक शैतान बाज़ ने
गलत तरीके से झपट्टा मारा,
उन्हें अपनी पंजों में कसके
उठा ले गया अपने धाम पर।
तार-तार हुआ चिड़िया का मन ये देखकर,
छिन गए वो होनहार युवा बच्चे जब अपना और
माँ का शीश शान से उठा कर वो जी सकते थे।
बाज़ अपने शिकार पर गुरूर कर बैठा,
गिद्ध दृष्टि से अपना उल्लू सीधा कर रहा था
झूठ और मक्कारी के बल पर खड़ा था।
चिड़िया माँ चुप थी,
अपने बच्चों की खातिर
मन में आशा लिए कि, वो
बच के शैतान के पंजे से
एक दिन सही-सलामत वापस आएंगे।
माँ का दर्द समझ पाएंगे, उनको अपना हक दिलवाएंगे॥
परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।