डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’
बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)
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पत्थरबाज अब भग जाएंगे,
राष्ट्रद्रोही लोग अब मिट जाएंगे।
अमन-शांति की यही है पुकार,
सुधर जाओ कश्मीर के मेरे यार।
धारा ३७० हटी,बंधन हट जाएंगे,
हिंदुस्तान का कानून एक हो जाएगा।
सुनहरे दिन का था इंतजार,
खुशियां मना लो मेरे यार।
स्वर्ग धरा को अब बनाएंगे,
कश्मीर में तिरंगा फहराएंगे।
हम सबकी है ये पुकार,
जय हिंद
का नारा लगा लो यार।
ईद-होली अब मनाएंगे,
हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई कहलाएंगे।
जन-जन में आया प्यार,
कश्मीर का सुनहरा दिन है मेरे यारll
परिचय-डीजेंद्र कुर्रे का निवास पीपरभौना बलौदाबाजार(छत्तीसगढ़) में है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘कोहिनूर’ है। जन्मतारीख ५ सितम्बर १९८४ एवं जन्म स्थान भटगांव (छत्तीसगढ़) है। श्री कुर्रे की शिक्षा बीएससी (जीवविज्ञान) एवं एम.ए.(संस्कृत,समाजशास्त्र, हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। आपकी लेखन विधा कविता,गीत, कहानी,मुक्तक,ग़ज़ल आदि है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत योग,कराटे एवं कई साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। डीजेंद्र कुर्रे की रचनाएँ काव्य संग्रह एवं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। विशेष उपलब्धि कोटा(राजस्थान) में द्वितीय स्थान पाना तथा युवा कलमकार की खोज मंच से भी सम्मानित होना है। इनके लेखन का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियां,आडंबर,गरीबी,नशा पान, अशिक्षा आदि से समाज को रूबरू कराकर जागृत करना है।