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कुछ लोग होते हैं ऐसे…

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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हमारी स्मृतियों में,
कुछ लोग होते हैं ऐसे
जो बिना किसी संवाद
के भी दर्ज हो जाते हैं…।

कुछ लोग कभी नहीं जाते पूरे,
धीरे से किश्तों में जाते हैं…
फिर भी वो, कभी पूरे नहीं जाते…।

रह जाते हैं सुबह की उनींदी नीद से,
भीगीं पलकों की पोर में
जैसे रह जाता है थोड़ा सा गीलापन…
कुछ रह जाते हैं,
फूल की सूखी पखुंडी में
भीनी सुगंध की तरह…।

कुछ बातें रह जाती है,
कुछ ज़ज्बात अनकहे रह जाते हैं
टूट जाते हैं कुछ वादे,
कुछ कसमें अधूरी रह जाती है।

कुछ बस जाते हैं आँखों में,
जैसे रह जाती है कोई याद
किसी के गुजर जाने पर…।

कुछ होते है कोहरे से धुंधले,
जो रह जाते हैं
किसी फूल पर ओस बनकर,
जैसे बीता वक्त रह जाता है।
कुछ रिश्तों में, खुशी तो,
कभी आँखों में पानी बनकर…॥

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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