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क्या कसूर था…?

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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अलीगढ़ में मासूम बेटी की घटना पर आधारित………..
एक मासूम-सी वो कली थी,
जिसको खिलने भी न दिया
बेटी थी वो सबकी,
उसको आगे बढ़ने भी न दिया।

क्या कसूर था !
उस मासूम कली का,
जो फूल भी न बन पाई
उसको दरिंदों ने मसल दिया।

नन्हें-नन्हें कदम दुनिया में पड़े थे,
उन कदमों को आगे बढ़ने नहीं दिया
जो सपने देखे थे उन सपनों को कुचल दिया।

जमाना कितना खराब है बेटी!
तेरे होने से भी अब डर लगता है,
मन भी अब विचलित होता है
तन भी रोता है,
दर्द से भरी ऐसी घटना को देखकर
सबका मन काँप जाता है।

बेटी तुम तो मासूम कली थी,
अभी तो तुमने दुनिया भी नहीं देखी थी
तुम्हारी मुस्कान को देख कर तुम पर,
शैतानों की नजर पड़ गई
लहू के घाव भर दिए,
हैवानियत इतनी ज्यादा क्रूर थी
तुमको खिलने से पहले ही कुचल दिया॥

परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैl वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैl यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।

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