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क्या सोचा सबने कभी !

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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कैसे ये रंग-बिरंगे फूल खिलखिलाएंगें ?
क्या अब भौरें हमेशा गुनगुनाएंगे ?
आसमान में उड़ते पंछी क्या प्रतिदिन चहचहाएंगे ?
जब जल के सारे स्त्रोत सूख जाएंगे
वायुमंडल प्रदूषण से भर जाएंगे,
कांक्रीट के जंगल में रहकर हम अस्वस्थ हो जाएंगे
अगली पीढ़ी को हम क्या देकर जाएंगे ?
न जल, न वृक्ष, न उपवन,
न ही शुद्ध हवा और मन
क्या सोचा हम सबने कभी,
उन स्त्रियों का कष्ट और संयम
जो एक घडा़ पानी लाने के लिए कोसों दूर जाती हैं,
तपती दुपहरी में अपना जीवन झुलसाती है
और हम सब एक दिन पानी न आने पर हाय-तौबा मचाते हैं,
क्यों खुद जाकर समस्या का समाधान नहीं ढूंढकर लाते हैं
कब उठ पाएंगे इस भोगवादी मानसिकता से हम,
कब सुन पाएंगे धरती माँ की पुकार हम
कब महसूस करेंगे वसुंधरा की चक्षुधारा से,
बहती अविरल अश्रुधारा को हम
जब उसको बचाने के सारे द्वार बंद हो जाएंगे ?

उठो!
उठो मेरे देशवासियों!
जागो मेरी सखी-सहेलियों,
इस अंधकार के बादल से निकलकर
आज हम संकल्प लेते हैं,
इस वसुंधरा को हर हाल में बचाएंगे
वृक्ष की वृद्धि करें हम हर वर्ष,
पानी की एक-एक बूंद बचाएंगे
प्रदूषण रोकें हर एक कोने में हम,
तभी हम अपने पर्यावरण को बचा पाएंगे।
और इस धरती पर जन्म लेने का कर्ज अदा कर पाएंगे,
और हर दिन को तब हम सही मायने में
और ‘पृथ्वी दिवस’ कह पाएंगे,
सही मायने में पृथ्वी दिवस मना पाएंगे॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।

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