हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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ये लफ्जों की कारीगरी है भईया,
इसमें करामात तो होनी चाहिए
शब्दों का मेला है कविता साहेब,
इसमें दुनिया तो खोनी चाहिए।
महज तुकों-छंदों से कुछ नहीं होता,
इसमें कुछ न कुछ खास होना चाहिए
यह सामाजिक माला का धागा है भईया,
इसमें हर भाव का मनका पिरोना चाहिए।
यह समाज का आईना होती है भईया,
इसमें समाज का चेहरा तो दिखना चाहिए।
महज चापलूसियाँ लिखना कविता नहीं है,
इसमें समाज का सच तो लिखना चाहिए।
समाज का संगीत होती है कविता साहेब,
इसमें समरसता का राग तो होना चाहिए।
अनगिनत प्रश्नों का पुलिंदा होती है कविता,
इसमें हर सवाल का जबाव तो होना चाहिए॥