डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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मुद्दा महात्मा गांधी के वैचारिक हनन का….
महात्मा गांधी अगर महात्मा गांधी थे तो अपने विचारों और चिंतन के कारण। अगर महात्मा गांधी जी की हत्या न होती तो भी वे कब तक जीते ?, लेकिन उनके विचार विश्व की अनमोल धरोहर हैं। अपने विचारों के कारण वे हजारों साल तक लोगों के दिलो-दिमाग में जीवित रहेंगे। इसलिए मुझे लगता है कि,कहीं अधिक नृशंस और गंभीर है उनकी वैचारिक हत्या। जो व्यक्ति आजीवन शिक्षा के लिए मातृभाषा माध्यम की पैरवी करता रहा, संघर्ष करता रहा,उनके नाम के साथ इंग्लिश मीडियम जोड़ना उनके विचारों पर उनकी वैश्विक छवि पर कितना बड़ा प्रहार है,नेता भले ही न समझें लेकिन विद्वान इसे भली-भाँति समझ सकते हैं।
भाषा-संस्कृति की तो किसी को पड़ी नहीं,महात्मा गांधी के कथित समर्थक,कथित गांधीवादी और गांधी जी के नाम पर बनी संस्थाओं के पदाधिकारियों को मुखर होकर इस निर्णय का विरोध करके महात्मा गाँधी की वैचारिक हत्या को रोकना चाहिए। खुद को जागना और दूसरों को जगाना चाहिए।