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खुशियों के फूल खिलाएं

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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आओ हम सब साथी मिलकर,
ऐसा ये संसार बनायें,
कोई दुखी नहीं हो जग में,
हम खुशियों के फूल खिलायें।

सभी द्वेषता भूले मन की,
आपस में सब दिल मिल जायें,
ऊँच-नीच का भेद मिटाकर,
नफरत की दीवार गिरायें।
ईश्वर अल्लाह गॉड एक हैं,
सबको बस इतना समझायें।
प्यार बढ़ा कर मानव मन में,
स्नेह प्रेम की ज्योति जगायें।

फैला है अँधियार हृदय में,
मन का ये अँधियार मिटायें।
कलुषित मन को सरस बनाकर,
जीने का अंदाज सिखायें।
मानव का कर्तव्य यही है,
निर्बल जन को गले लगायें।
मिटा अँधेरा सारे जग से,
नवल सूर्य की किरणें लायें।

धरती का श्रृंगार वृक्ष हैं,
वृक्ष कभी नहिं काटे जायें।
नदियों का जल जीवन देता,
रक्खें स्वच्छ ज़िन्दगी पायें।
स्नेहमयी माता वसुधा से,
हम अनमोल खजाने पायें।
कर प्रणाम प्रकृति रानी को,
ईश्वर को हम शीश नवायें॥

परिचय–शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

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