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`चमकी` बुखार या बच्चों को निगलने वाला अजगर

शशांक मिश्र ‘भारती’
शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश)

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पिछले लगभग एक माह से बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने ऐसा कहर बरपाया कि,बिहार से दिल्ली तक त्राहि-त्राहि मच गई। संख्या जब पचास से अधिक हुई तो केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री व राज्य स्वास्थ्य मंत्री पहुंचे,पर तत्काल कोई समाधान न दे सके। मौतों का शतक लगने के बाद सुशासन बाबू के नाम से विख्यात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अस्पताल जाकर हाल-चाल पूछने की फुरसत मिली। तब तक आक्रोश चरम पर आ चुका था। माँ-बाप के आँसू खून के आँसू में बदल चुके थे इसीलिए नीतीश कुमार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा,और राजनीतिज्ञों को भरपूर विरोध का अवसर मिला। हर प्रकार की मीडिया सवाल पर सवाल उठा रही है।
अब सवाल यह है कि,जब गरमी के मौसम में यह बीमारी फैलती है,ऐसी घटनाएं घटित होती हैं तो समय रहते उपाय क्यों न किये गए।आवश्यक दवाओं,अस्पताल में सुविधाओं का इन्तजाम क्यों न किया गया। बड़ी बातें और सुविधाओं-व्यवस्था की बात करने वालों को विचार करना पड़ेगा कि आखिर पीड़ितों को तुरंत चिकित्सा क्यों नहीं मिल पा रही है। एक-एक बिस्तर पर चार-चार बच्चे क्यों लिटाए जा रहे हैं। दर्जनों फर्श पर क्यों पड़े हैं। इसके अलावा बहुत से ऐसे सवाल हैं,जिनका जबाब इनको देना होगा।
मीडिया के सवालों से बचना,बड़ी मुश्किल से पीड़ितों तक पहुंचना चोर की दाढ़ी में तिनका की तरह है कि आप लगातार सत्ता में होने और सब-कुछ जानने-समझने के बाद भी इतने लापरवाह कैसे हो गये। राज्य की जिम्मेदारी अधिक है,पर दोष से केन्द्र भी बच नहीं सकता। यह कलंक उसके माथे पर भी लगना ही है। इसी के साथ जिन्होंने अपने दिल के टुकड़े खो दिए हैं,उन तक कोई सांत्वना नहीं…यहां-वहां भटक रहे हैं। मुख्यमंत्री से लेकर नीचे तक किस तरह से सबके-सब अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कैसा कर्तव्य पालन कर रहे हैं और जनता के भरोसे की कीमत क्या है। यह सब देखना होगा।
अब समय आ गया है कि सरकार में बैठे लोग चमकी बुखार को गम्भीरता से लेकर इसके लिए ठोस कार्ययोजना बनाएं। एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने या लीची को दोष देने से कुछ नहीं होने वाला है। न ही यह कहकर बच सकते हो कि गरमी अधिक है। क्या बिहार के आस-पास के अन्य राज्यों में भीषण गर्मी नहीं हो रही,वहां बच्चे लीची नहीं खा रहे हैं। कुछ आपसे वहां पर अलग होगा। अलग हटकर करने वाले होंगे, तभी वह अब तक इस समस्या से दूर है।
अस्पताल,चिकित्सक,शासन-प्रशासन और सत्तासीनों को अपने-आपको तत्काल दुरुस्त करना पड़ेगा। दक्षिण के राज्य केरल जैसे
परिणाम देने होंगे,अन्यथा ऐसे चमकी बुखार देश के नौनिहालों को निगलते रहेंगे,पीड़ित माता-पिता के पास बहाने के अलावा कुछ न होगा। मीडिया रोज गिनती रहेगी कि आज इतने मर गए,या भर्ती हुए।

परिचयशशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैl २६ जून १९७३ में मुरछा(शाहजहांपुर,उप्र)में जन्में हैंl वर्तमान तथा स्थाई पता शाहजहांपुर ही हैl उत्तरप्रदेश निवासी श्री मिश्र का कार्यक्षेत्र-प्रवक्ता(विद्यालय टनकपुर-उत्तराखण्ड)का हैl सामाजिक गतिविधि के लिए हिन्दी भाषा के प्रोत्साहन हेतु आप हर साल छात्र-छात्राओं का सम्मान करते हैं तो अनेक पुस्तकालयों को निःशुल्क पुस्तक वतर्न करने के साथ ही अनेक प्रतियोगिताएं भी कराते हैंl इनकी लेखन विधा-निबन्ध,लेख कविता,ग़ज़ल,बालगीत और क्षणिकायेंआदि है। भाषा ज्ञान-हिन्दी,संस्कृत एवं अंगेजी का रखते हैंl प्रकाशन में अनेक रचनाएं आपके खाते में हैं तो बाल साहित्यांक सहित कविता संकलन,पत्रिका आदि क सम्पादन भी किया है। जून १९९१ से अब तक अनवरत दैनिक-साप्ताहिक-मासिक पत्र-पत्रिकाओं में रचना छप रही हैं। अनुवाद व प्रकाशन में उड़िया व कन्नड़ में उड़िया में २ पुस्तक है। देश-विदेश की करीब ७५ संस्था-संगठनों से आप सम्मानित किए जा चुके हैं। आपके लेखन का उद्देश्य- समाज व देश की दशा पर चिन्तन कर उसको सही दिशा देना है। प्रेरणा पुंज- नन्हें-मुन्ने बच्चे व समाज और देश की क्षुभित प्रक्रियाएं हैं। इनकी रुचि- पर्यावरण व बालकों में सृजन प्रतिभा का विकास करने में है।