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चलो चलना जिंदगी है…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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ओ! ठहरे हुए तुम पानी,
मत करना अब नादानी।
जो थमा तो गंदगी है,
चलो चलना जिंदगी है…॥

भीड़ हो बेशक्ल बेढब,
या नीड़ रहे तन्हा जब
लेता दिल हमसे पंगा,
होते रहता है दंगा।
सुन रखा कि दिल की,
सुनना होती प्रभु बंदगी है॥
चलो चलना…

खतरा खोने का भारी,
दिल तेरे हम बलिहारी
चोले में परछायी है,
जलवा मगर नुमायी है।
अकल पे दिल चढ़ाई,
कर, करता नुमाइंदगी है॥
चलो चलना…

उफान है मन नदियों में,
तूफान उठा सदियों में
इंसा है इसलिए ऐबी है,
कहीं न कहीं फरेबी है।
लेकिन नफरत में जीना,
इस बात पे शर्मिंदगी है॥
चलो चलना…

पेशानी में बल क्यों है,
हर मसले का हल जो है
जो दुआ बेअसर होगी,
तो दवा सुन जहर होगी।
छोड़ उड़ा जो फ़िक्र जिक्र,
यह ही तो परिन्दगी है॥
चलो चलना जिन्दगी है…

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।