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चाँद सितारे

संतोष भावरकर ‘नीर’ 
गाडरवारा(मध्यप्रदेश)
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विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष………..


ख़ामोशी से देखो कितने सुन्दर हैं चाँद-सितारे,
दूर गगन में चमकते देखो,लगते कितने प्यारे।

कभी पास आते वोे और कभी दूर चले जाते,
कितना मोहक लगता हमको करते वे इशारे।

खुले गगन में राज़ है इनका,और न कुछ बोले,
टिमटिमाते सारी रतिया औऱ तन उनका डोले।

बच्चे कहते चाँद हैं मामा,सितारे दादा हो जाते,
सुनाती माँ लोरी,चाँद के किस्से बच्चे सो जाते।

खुला आसमाँ-सा हो जीवन,मिले ख़ुशी के पल,
नीर जीवन है छोटा,न करो किसी से तुम छलll

परिचय-संतोष भावरकर का साहित्यिक उपनाम-नीर है। इनकी जन्मतिथि २३ मार्च १९७५ तथा जन्म स्थान-जिला छिंदवाड़ा है। आप वर्तमान में सालीचौका रोड,गाडरवारा (म.प्र.)में निवासरत एवं यही स्थाई पता है। एम.ए.(संस्कृत साहित्य,हिंदी साहित्य),बी.एड और पीजीडीसीए की शिक्षा प्राप्त श्री भावरकर का कार्यक्षेत्र-अध्यापक का है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल,कविता,कहानी और लेख है।राष्ट्र स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में १९९२ से सतत लगभग ४०० कविता,आलेख,ग़ज़ल,गीत,कहानी और मुक्तक का प्रकाशन हो चुका है। साथ ही कई ई-पत्रिकाओं में भी कविता प्रकाशित हुई है। ऎसे ही आपके खाते में प्रकाशित सांझा काव्य संग्रह में-काव्य-कलश,दिव्यतूलिका ,जीवन-सुधा आदि हैं। यदि सम्मान की श्रंखला देखें तो आपको दिल्ली से रचना शतकवीर सम्मान,काव्य-कलश सम्मान ,ग्वालियर से दिव्यतूलिका सम्मान सहित हरियाणा से बाबू बालमुकुंद गुप्त हिंदी साहित्य सेवा सम्मान आदि प्राप्त हैं। अनेक साहित्यिक-सामाजिक-शासकीय संस्थाओं द्वारा भी आपको सम्मान-पत्र एवं प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया गया है। नीर की दृष्टि में लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को समृद्ध बनाना एवं समाज में जागृति लाना है।

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