मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)
************************************************
लोटे ने एकांत देख घड़े के समक्ष अपने मन की बात कुछ यूँ रखी-
‘घड़े भाई ! आप अंदर से बहुत अच्छे हैं, सभी को शीतल जल का रसपान कराते हैं, फिर भी लोग अक्खड़ व आज्ञा की अवमानना करने वाले को
‘चिकना घड़ा’ कहकर संबोधित करते हैं। आप बाहर का आवरण भी अंदर की तरह क्यों नहीं कर लेते, ताकि अपनी इस अप्रिय छवि से बाहर निकल सको ?’
इस प्रश्न पर घड़े ने अपनी स्थायी शीतल मुस्कान बिखेरते हुए जवाब दिया-
‘लोटे भाई ! कोई कुछ भी कहे, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं और मेरी पिछली सभी पीढ़ियाँ अपना कर्तव्य पूर्ण मुस्तैदी से निभाती आई हैं, इसलिए मैं भी अडिग ही रहूँगा। तुम ही सोचो, यदि मैं बाहर की अपनी चिकनाई त्याग दूँ, तो अच्छी-बुरी सभी चीजें मुझसे लिपटने लग जाएंगी और अंदर का जल दूषित हो जाएगा तथा मैं उसे ठंडा भी नहीं रख पाऊँगा। मैंने बाहर से इसीलिए स्वयं को चिकना कर रखा है, कोई अनावश्यक और अस्वस्थकारी चीज मुझ पर ना ठहरे, ताकि जल को शीतल रखने हेतु बाहर की स्वच्छ वायु को अपने अंदर तक पहुँचा सकूँ। मैं तो सोचता हूँ, हर इंसान को बाहर से वास्तव में मुझ जैसा ही चिकना घड़ा होना चाहिए, ताकि आचरण को दूषित करने वाली प्रवृत्ति अंदर प्रवेश ही ना कर पाए और आचरण की सुंदरता हमेशा बरकरार रहे।’ घड़े की बात सुन लोटा बहुत प्रभावित हुआ और सोचने लगा-
‘इसीलिए, शायद विवाह जैसे शुभ अवसर पर घड़े की पूजा होती है।’
परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।