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जनसंख्या नियंत्रण अत्यंत आवश्यक

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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जनसंख्या नियंत्रण एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा रहा है। देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा है। जनसंख्या मानव संसाधन है, क्योंकि मनुष्य उत्पादन करने के साथ ही जीवन की गुणवत्ता को भी संसाधनों के बेहतर उपयोग द्वारा बढ़ाता है। वास्तविक अर्थों में विकास मानव संसाधन तथा अन्य संसाधनों के परस्पर संतुलित सामंजस्य द्वारा ही किया जा सकता है। किसी भी देश में अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि विकास में बाधक ही साबित हो सकती है, क्योंकि संसाधनों पर दवाब बढ़ता है, जिससे जीवन स्तर में कमी आती है। जनसंख्या नियंत्रण का अर्थ सीधे तौर पर कृत्रिम तरीकों द्वारा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है, जिससे संसाधनों के साथ सामंजस्य बना रहे
१५ अगस्त २०२० को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएँ दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न संगठनों व प्रबुद्ध लोगों ने इससे संबंधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि ४२ वें संविधान संशोधन १९७६ के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया, इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है कि, वे इससे संबंधित अधिनियम पारित करें। इसके अलावा २००२ में संविधान समीक्षा आयोग ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि, वह जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाएं। वर्तमान में दर्ज याचिका में संविधान समीक्षा आयोग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई।
यहाँ कुछ आँकड़े यह साबित करते हैं कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा क्यों गरमाया हुआ है। विश्व के कुल क्षेत्रफल का २ फीसदी भूभाग भारत है, तथा यहाँ पर विश्व की २० फीसदी आबादी निवास करती है। कुल पीने योग्य जल का ४ प्रतिशत भारत के पास है तथा इसी प्रकार जनसंख्या विस्फोट होता है, तो आने वाले समय में भारत को अनेक समस्याओं का सामना करना होगा।
भारत में प्रत्येक दिन ७०००० बच्चे जन्म लेते हैं, अर्थात प्रत्येक मिनट में ५१ बच्चों का जन्म होता है। भारत की जनसंख्या वर्तमान में १३५ करोड़ है, तथा यह इसी तरह बढ़ती है तो २०२४ तक १४० करोड़ को पार कर जाएगी। संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार २०२५ तक भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए जनसंख्या के मामले में पहले स्थान पर आ जाएगा।
भारत में कृषि उत्पाद की अधिकांश खपत हमारे देश में ही हो जाती है। हम हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ईंधन का आयात करते हैं। इसके अलावा बढ़ती हुई जनसंख्या के चलते मूलभूत आवश्यकताओं यथा- शिक्षा, चिकित्सा तथा रोजगार की आपूर्ति देश के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं, जिससे जीवन स्तर में कमी तथा असमान आय वितरण में दिनों-दिन वृद्धि देखी जा सकती है। इनके अलावा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कुपोषण, गरीबी, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निजात पाने में कठिनाई पैदा हुई है। बड़े-बड़े शहरों में लंबे-लंबे यातायात जाम, कोलाहल युक्त वातावरण, बढ़ता प्रदूषण जनसंख्या विस्फोट के ही परिणाम हैं।
जनसंख्या नियंत्रण के प्रमुख उपायों में तर्क दिया जाता है कि, विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ा दिया जाना चाहिए। दूसरा सुझाव दिया जाता है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाया जाए तथा महिला शिक्षा पर जोर दिया जाए, जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा जनसंख्या वृद्धि और ऐसी ही अन्य समस्याओं से निजात पाने में सुलभता होगी। जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण पुत्र प्राप्ति की लालसा भी है।इस संदर्भ में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं तथा कार्यक्रमों द्वारा लोगों को अधिकाधिक जागरुक करने की आवश्यकता है। जनसंख्या नियंत्रण संबंधी अवधारणा पुरानी नहीं है I बीसवीं सदी के अंत में विश्व के कुछ देशों में यह महसूस किया गया कि जनसंख्या की अनियंत्रित बढ़ोतरी विकास में बाधक है, तथा इसे रोका जाना चाहिए।
जनसंख्या का इतिहास पुराना है तथा इसके प्रमाण रोमन साम्राज्य से प्राप्त हुए हैं। चाणक्य द्वारा रचित ‘अर्थशास्त्र’ में भी आर्थिक गतिविधियों के लिए जनगणना को महत्वपूर्ण बताया गया है I अबुल फजल ने अपने ग्रंथ ‘आईने अकबरी’ में जनगणना का वर्णन किया है I
सरकार को चाहिए कि वह जनसंख्या नियंत्रण के मानवोचित प्रयास करे तथा परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने जरूरी है, जिससे संसाधनों का कुशलतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके तथा जनसंख्या की असामान्य वृद्धि से उत्पन्न अनेक समस्याओं को अनियंत्रित होने से रोका जा सके I पिछले तीन-चार दशकों से सरकार ने योजनाएँ तथा कार्यक्रमों के द्वारा इस दिशा में प्रयास तो किए, लेकिन सफल नहीं रहे। इसलिए, जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता महसूस की गई है। निःसंदेह वर्तमान में जनसंख्या नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है।

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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