अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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जमीर,
मत बेचो
ईश्वर की देन,
होगा हिसाब
सबका।
निभाओ,
सदा इंसानियत
देखता है रब,
पाप-पुण्य
खाता।
चुनना,
सेवा मार्ग
लोभ छोड़ दो,
भला नहीं
लालच।
वाणी,
हो संयमित
मिल जाएगी प्रतिष्ठा,
यही साख
पुण्य।
बचना,
बुराई से
सदा दुःखद अंजाम,
यही अनुभव
जीवन।
सफलता,
बड़ा मार्ग
सदा मिलती मंज़िल,
छोटा रास्ता
बुरा।
भाग्य,
संग चलता
जब करो पुरूषार्थ,
आलस त्यागो
भाग्योदय।
मति,
भ्रष्ट नहीं
संवरेगा सदा नसीब,
स्वार्थ बुरा
दुर्भाग्य।
परिश्रम,
करते रहना
‘सब्र’ फल मीठा,
मिलेगा सुकून
खजाना।
आशीष,
माता-पिता
सदा है फलता,
खुलेगी किस्मत
सुफल॥