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जयघोष

कवि योगेन्द्र पांडेय
देवरिया (उत्तरप्रदेश)
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देश की विरासत का, मान रखने के लिए,
पुरखों की संचित, निशानी कोई चाहिए
मातृभूमि पर यदि, उंगली उठाए बैरी,
गरम लहू की भी, रवानी कोई चाहिए।

युगों-युगों तक जो, सुनाई जाए दुनिया में,
शूरवीरता की भी, कहानी कोई चाहिए।
शत्रुओं को रणभूमि में, पछाड़ देने वाली,
भगत, सुभाष-सी, जवानी कोई चाहिए॥

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