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जय गोपाल

मनोरमा चन्द्रा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….

हे गोपाल,करूँ मैं ध्यान,
आ जाओ,करुणा के सागर।
हम दीन पुकार रहे हैं,
कर दो हम पे उपकारll

यशोदा,नंद दुलारे हो,
राधा के,तुम प्यारे हो।
मुरली मधुर बजाने वाले,
गोपियों को,नचाने वाले होll

गोवर्धन पर्वत उठा,
ग्वालों की रक्षा किये।
पाप अंत,करने के लिए,
दुष्ट कंस का,संहार कियेll

द्रोपदी की,लाज बचाकर,
नारी का सम्मान किये।
दीन सुदामा की,गरीबी हटा,
उन पर हैं उपकार कियेll

कारावास से मुक्त कर,
माता-पिता,के दु:ख हरे।
अपने भक्तों की,पुकार पर
करो दया,हे करुणा हरेll

रूप अनेक हैं तुम्हारे,
दीनानाथ तुम कहलाते।
राधा के,श्याम तुम्हीं हो,
मीरा के,मोहन कहलातेll

तुम्हारी लीला,अपरम्पार,
हे नटवर,जग पालनहार।
चरण-शरण में,ले लो प्रभु,
जग से करा दो,नैया पारll

परिचय-श्रीमति मनोरमा चन्द्रा का जन्म स्थान खुड़बेना (सारंगढ़),जिला रायगढ़ (छग) तथा तारीख २५ मई १९८५ है। वर्तमान में रायपुर स्थित कैपिटल सिटी (फेस-2) सड्डू में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-जैजैपुर (बाराद्वार),जिला जांजगीर चाम्पा (छग) है। छत्तीसगढ़ राज्य की श्रीमती चंद्रा ने एम.ए.(हिंदी) सहित एम.फिल.(हिंदी व्यंग्य साहित्य), सेट (हिंदी)सी.जी.(व्यापमं)की शिक्षा हासिल की है। वर्तमान में पी-एचडी. की शोधार्थी(हिंदी व्यंग्य साहित्य) हैं। गृहिणी व साहित्य लेखन ही इनका कार्यक्षेत्र है। लेखन विधा-कहानी,कविता,हाइकु,लेख (हिंदी,छत्तीसगढ़ी)और निबन्ध है। विविध रचनाओं का प्रकाशन कई प्रतिष्ठित दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में छत्तीसगढ़ सहित अन्य क्षेत्रों में हुआ है। आप ब्लॉग पर भी अपनी बात रखती हैं। इनके अनुसार विशेष उपलब्धि-विभिन्न साहित्यिक राष्ट्रीय संगोष्ठियों में भागीदारी व शोध-पत्र प्रस्तुति,राष्ट्रीय-अंतर्राष् ट्रीय पत्रिकाओं में १३ शोध-पत्र प्रकाशन व  साहित्यिक समूहों में लगातार साहित्यिक लेखन है। मनोरमा जी की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को लोगों तक पहुँचाना व साहित्य का विकास करना है।

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