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जय श्री गणेशा

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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विघ्नहर्ता गजानंद विशेष…..

हे गणपति हे शिव गौरी नंदन,
हे प्रभु चरण वंदन स्वीकार करें।

सदा प्रथम पूज्य देव गणपति,
निज मात-पिता चरण स्पर्श किए।

मात-पिता प्रति श्रद्धा सेवा धर्म-कर्म,
ज्ञान आलोक प्रभु विनायक दिए।

हर विधान प्रथम पूज्य गणपति,
ऋद्धि-सिद्धि चंवर डुलाव करें।

तीन लोक तैंतीस करोड़ देव-देवी,
विघ्नहर्ता प्रभु गणपति अरज करें।

शंख कमल वीणा औ परशुधारी,
चतुर्भुज गजानंद जन पूजन करें।

रिद्धि-सिद्धि प्रतीक प्राण अपान,
हरी दूब प्रिय प्रभु लंबोदराय सुनें।

वाहन मूषक है प्रिय बप्पा को,
लड्डू मोदक मनमोहक भोग चढे़।

बिन गणेशा ना लक्ष्मी शारदा पूजन
प्रभु जीवन औ सम्मान संरक्षण करें

गणेश चतुर्थी भाद्रशुक्ल पूजन,
विद्या बुद्धि दाता विनायकं श्रद्धा करें।

विघ्न विनाशक भालचंद्राय अप्पा,
सबके घर निवास प्रभु जी बप्पा करें।

हे अविनाशी दयानिधि विघ्नहर्ता,
दु:ख विनाशक विघ्न सबका हरें।

वक्रतुंडाय एकदंता सर्वसिद्धिदाता,
कृपा सदा लंबोदराय श्री गणपति करें॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

 

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