कुल पृष्ठ दर्शन : 355

जहर बांटते हैं…

डॉ.रामकुमार चतुर्वेदी
सिवनी(मध्यप्रदेश)
******************************************************
दबा पान मुख में बगल देखते हैं,
सदा थूकने की जगह झांकते हैं।

कभी भी कहीं भी पचक कर चलें वो,
बड़ी शान से फिर सड़क नापते हैं।

इधर भी नजर है,उधर की खबर भी,
शहर ये हमारी डगर जानते हैं।

बहे लार मुँह से अधर लाल करते,
बना लार कैंसर दवा चाहते हैं।

तम्बाकू भरे मुँह में मौन चलते,
गिरे लार चलते तुरत पोंछते हैं।

लिये यार गुटका चले संत देखो,
बिके खूब पाउच जहर बांटते हैं।

नशा ये बढ़ा है युवा में जहर का,
जिसे देख फैशन इसे मानते हैं।

उड़ाते धुआँ तुम जलाकर जिया को,
गले मौत का क्यों कफन टांगते हैं।

चले पान खाने बहाना बनाकर,
भरें जेब अपनी रकम डालते हैं।

खुली पोल जबसे किनारे हुए सब,
हुआ पान का भय डरे भागते हैं।

पिटारे खुले है खुलासे हुए जब,
फँसाए गए हम बला टालते हैं।

जरा सोच बदलो वतन है हमारा,
रखें साफ मिल के कसम मांगते हैंll

परिचय-डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी का वास्ता मध्यप्रदेश के सिवनी से है। यहीं पर आपका जन्म १८ अगस्त १९६७ में हुआ है। वर्तमान में आप सिवनी स्थित शहीद वार्ड में बसे हुए हैं। डॉ.चतुर्वेदी की शिक्षा-एल-एल.एम. और पी-एच.डी. है। कार्यक्षेत्र में आप विधि महाविद्यालय में प्रबंधक हैं। सामाजिक गतिविधि के निमित्त बाल कल्याण समिति (सिवनी)से सदस्यता से जुड़े हुए हैं। व्यंग्य लेखक श्री चतुर्वेदी छंद, मुक्तक,गीत और गद्य भी लिखते हैं। प्रकाशन में आपके नाम-हिन्दी वर्णमाला, भारत के सपूत,चले हैं व्यंग्य (खण्डकाव्य)और टारगेट प्रकाशाधीन है। आपको प्राप्त सम्मान में हरिशंकर परसाई सम्मान,हिन्दी गौरव सम्मान और साहित्य गौरव सम्मान मिल चुका है। विशेष उपलब्धि यही है कि, ‘राम बाण’ स्थाई स्तंभ के माध्यम से आप सामाजिक मीडिया पर चर्चित हैं। इनकी की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, सामाजिक चेतना जागृत करना है।

Leave a Reply