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जैसे इतवार आ गया…

बबीता प्रजापति ‘वाणी’
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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भोर का सूर्य,
रक्ताभ आभा लिए
हृदय को जैसे जगा गया,
व्यस्त दिनों के बाद
जैसे इतवार आ गया।

सप्ताह भर की व्यस्तता को,
आंच पर चढ़ा मद्धम-मद्धम
घूंट-घूंट पीकर,
मन का तनाव भगा गया
व्यस्त दिनों के बाद जैसे,
इतवार आ गया।

आज तो जैसे,
पकवानों में प्रेम भर गया
सप्ताह बाद रसोईघर,
व्यस्तता से उबर गया
प्रेम से साथ भोजन करने,
पूरा परिवार आ गया
व्यस्त दिनों के बाद जैसे,
इतवार आ गया।

मोहल्ले, कालोनी और गलियाँ,
आज सूनी कहाँ दिखती
कोई जा रहा मित्र के घर,
चौपाल लगाए कोई बाहर
मिलन का जैसे कोई,
त्योहार आ गया।
व्यस्त दिनों के बाद जैसे,
इतवार आ गया॥