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झाँसी की रानी

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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इन पायल में है झनक कई,
फिर चूड़ी खन से खनक गयी…।

धन्य-धन्य वीर वीरांगना,
अंग्रेज, मुगल धूल चटाई
नाज भारती करती जिन पर,
थर-थर कांपते आतताई।
रणचंडी बन कर जिन्होंने,
तलवार निकाली चमक भरी॥
फिर चूड़ी खन से खनक गयी…

झाँसी की रानी मर्दानी,
रानी चेन्नम्मा कित्तूर की
शिवदेवी तोमर झलकारी,
गुर्जर बेटी वह बिठ्ठुर की।
तारा भोसले कर्णावती,
रानी की मति थी ठनक गयी॥
फिर चूड़ी खन से खनक गयी…

धर्मध्वज वाहनी नायिका,
रानी अहिल्या बाई होलकर
कुशल शासिका शिव सेविका,
धर्म लिए तिजोरी खोलकर।
वो फूल खिली भारत उपवन,
जिसकी न कभी महक गयी॥
फिर चूड़ी खन से खनक गयी…

कैप्टन लक्ष्मी सहगल, पद्मा,
पी.टी.उषा गायन में लता
दर्शन रंगनाथन विज्ञानी,
नृत्य में मृणालिनी मल्लिका।
कल्पना चावला अंतरिक्ष में,
चमकी सतरँगी धनक नयी॥
फिर चूड़ी खन से खनक गयी…

अरुंधती रॉय नोबल लेकर,
प्रेम रची अमृता प्रीतम की
सुभद्रा और महादेवी की,
कृति सुख दे कर आँखें नम की।
आशापूर्णा तक पुरस्कार की,
प्रथम ज्ञानपीठ भनक गयी॥
फिर चूड़ी खन से खनक गयी…

गौरव थी चिकित्सा क्षेत्र की,
यह है कादम्बिनी गाँगुली
भारत की यह महिला डॉक्टर,
पहली डिग्री इनको ही मिली।
सरोजनी सुचेता, इंदिरा,
राजनीति की यही चमक गढ़ी॥
फिर चूड़ी खन से खनक गयी…

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।