कुल पृष्ठ दर्शन : 224

You are currently viewing तसल्ली

तसल्ली

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

**************************************

तसल्ली से गुजर होती,सुखों की हर ठहर बनती,
दया भगवान करते हैं,दुखों से अब नहीं ठनती।

दुआओं का असर होगा,जो हर तस्वीर सजती है,
हुनर इतने कहाँ हममें जो हर तहरीर बनती है।

बताओ आप ही हमको,दुआ कितनी दिया करते,
कहो या फिर सभी को ख्वाब की ताबीर मिलती है।

बिताई जिन्दगी जिसने,हमेशा खाक का बनकर,
भला उसकी भी कीमत क्या कभी लाखों में लगती है।

चलो माना खुली तकदीर,रहमत से खुदाई की,
अगर है बात ऐसी तो,दुआ हर साँस करती है।

मिलें सबको ही ऐसे पल,दिए जो वक्त ने हमको,
सुकूं हर पल रहा करता,बनी मनधीर रहती है॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

Leave a Reply