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तुम्हारा है अभिनंदन

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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गणेश चतुर्थी विशेष….

वक्रतुंड महाकाय गजानन,
हम करते तुमको वंदन
शिव शंकर गौरी नंदन,
करें तुम्हारा अभिनंदन।

बल-बुद्धि को देने वाले,
विघ्नों को हर लेने वाले
विनती सबकी सुनने वाले,
उमापुत्र तुम सुख-रंजन।

डगमग डोले जीवन नैया,
तुम ही नैया के खिवैया
भव-सागर से पार लगैया,
एकदन्त हो दु:ख भंजन।

पूजन-अर्चन करूँ गणेशा,
काटो सारे कष्ट-क्लेशा,
भोग लगाओ लड्डू-मेवा,
लम्बोदर जग मनभावन।

दो आशीष हमें भंडारी,
तेरी चौखट के हैं पुजारी।
तुम राजा हम रंक-भिखारी,
आओ पधारो घर-आँगन॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।