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चलो सत्य की राह पर

विरेन्द्र कुमार साहू
गरियाबंद (छत्तीसगढ़)
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चारित्रिक सौंदर्य का,उदाहरण है राम।
श्रेष्ठ कार्य उपमान है,दो अक्षर का नामll

जिनसे संभव हानि हो,मत रख उनसे नेह।
पिस्सू पशु को त्याग दे,मृत जब उनकी देहll

नभ मंडल में चाँदनी,फैली है चहुँओर।
लेकिन केवल चाँद पर,मोहित रहे चकोरll

बुद्धि सुरक्षा के लिए,करो ईश का ध्यान।
तन की रक्षा के लिए,छोड़ नशे का पानll

अडिग रहो निज लक्ष्य पर,मत होना भयभीत।
चलो सत्य की राह पर,होगी पक्की जीतll

सबके मन को जीत लो,करके सबसे प्रीत।
प्यारे मन को जीतना,सबसे अच्छी जीतll

कर्म सदा करते रहो,जीत मिले या हार।
लड़ने को हर बार ही,रहो सदा तैयारll

जीवन के संघर्ष में,जीत मिले या मात।
किन्तु कभी ना छोड़ना,वीर सत्य का साथll

संघर्षों की राह में,झुक ना पाये माथ।
कोशिश तुम करते रहो,हार-जीत विधि हाथll

परिचय-विरेन्द्र कुमार साहू का जन्म १५ दिसम्बर १९८७ को बोड़राबांधा (राजिम) में हुआ हैl आपका वर्तमान निवास ग्राम-बोड़राबांधा,पोड़(पाण्डु का),जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़)हैl यही स्थाई निवास भी हैl छत्तीसगढ़ राज्य के श्री साहू ने एम.ए.(हिन्दी) और डी.पी.ई. की शिक्षा प्राप्त की हैl आप कार्यक्षेत्र में शिक्षक हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत स्वयं के समाज में सेवी हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,कविता हैl ब्लॉग पर भी सक्रिय लेखन करते हैंl वीरेंद्र साहू की लेखनी का उद्देश्य-भावों की अभिव्यक्ति से नवजागरण करना हैl

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