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तुलसी पावन हरिप्रिया

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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उत्सव शुभ देव उठनी, कार्तिक शुक्ल महान।
प्रबोधिनी एकादशी, शालिग्राम भगवान॥

कर्णजात हरि असुर दो, मधुकैटव बलवान।
पद्मनाभ विधि भय हरे, मायापति भगवान॥

पाकर श्री सत्प्रेरणा, उठे विष्णु गोधाम।
खो सतीत्व तुलसी कुपित, शाप दी शालिग्राम॥

तुलसी पावन हरिप्रिया, पादप औषधि सार।
शालिग्राम पूजन धरा, रोगमुक्त आधार॥

तुलसी शालिग्राम धरा, पावन दिवस विवाह।
जगे विष्णु चिर नींद से, मिटे सकल मन आह॥

लक्ष्मी तुलसी रूप में, हेतु जन्म भू शाप।
शालिग्राम पत्थर बने, तुलसी श्री अभिताप॥

तुलसी दल हरि मुदित हिय, पूजित दश अवतार।
भक्ति प्रेम हो साधना, भवसागर उद्धार॥

रिद्धि-सिद्धि बन गंडकी, हरित भरित भूखंड।
तुलसी दल गुणसार जग, सर्दी हरे प्रचंड॥

आँगन तुलसी पूजिता, उपयोगी शुभकाम।
तन धन मन सुख सम्पदा, अन्तकाल अविराम॥

तुलसी दल नित चर्वणा, औषधि उदर विकार।
कफ़ पीत सर्दी व्यथा, तुलसी रस उपचार॥

सदा जुड़ी अध्यात्म से, युग युग पूजन गेह।
चलो लगाएँ गेह में, तुलसी औषधि धेय॥

तुलसी पादप मांगलिक, हो ‘निकुंज’ भरपूर।
काढ़ा लें प्रति दिवस हम, पाप रोग सब दूर॥

तुलसी पूजन मोक्षदा, विष्णु वन्दना आज।
पावन तिथि एकादशी, देव उठनी रिवाज॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥