अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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गुरु है ज्ञान
दिखाते हैं रोशनी
गुरु महान।
सखा है गुरु
मिल जाए जिसे ये
जीवन शुरू।
गुरु विद्वान
गुरु हैं मात-पिता
देते हैं ज्ञान।
गुरु संबंध
है मुश्किल में साथ
करे प्रबन्ध।
ज्ञान की खान
गुरु से सफलता
दिलाते मान।
भाग्य विधाता
बताते अच्छा-बुरा
राष्ट्र निर्माता।
निभाते साथ
श्रेष्ठ गुरु सहज
थामते हाथ।
शिक्षक न हो
गुरु यानी भरोसा
उजास न हो।
गुरु वंदन
शीश नवाते हम
कनक बने।
स्वर्ण बनाते
करो नमन इन्हें
गुरु महान।
ज्ञान अपार
मान देना गुरु को
प्रेम संसार।
दिखाते रास्ता
गुण बढ़ाए गुरु
तोड़े न वास्ता।
भाग्य है जागा
जो भला करें गुरु
दुर्गुण भागे।
स्नेह लीजिए
गुरु को न भूलना
मान दीजिए।
देते हैं तार
थाम कर जीवन
की पतवार॥